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डॉक्टर दीपाली भारद्वाज भारत की प्रमुख स्किन और एंटी एलर्जी विशेषज्ञ हैं. |
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भारत की प्रमुख स्किन और एंटी एलर्जी विशेषज्ञ एवं अंतर्राष्ट्रीय रूप से प्रशिक्षित एंटी एजिंग विशेषज्ञ डॉक्टर दीपाली भारद्वाज ने मेरे साथ खास बातचीत में कोरोना वायरस के बारे में बताया, साथ ही उन्होंने इस वायरस से बचाव के बारे में भी बताया.
सवाल- कोरोना वायरस क्या है?
117 देशों में अब तक करीब 1 लाख 27 हजार लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं, जिसमें से करीब 4600 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. अभी भी हजारों लोग ऐसे हैं, जो अस्पतालों में जीवन और मृत्यु के बीच में संघर्ष कर रहे हैं. यही कारण है कि जिसकी वजह से वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने इसे महामारी घोषित कर दिया है. जिसका मतलब है कि इससे संक्रमित लोगों की गिनती प्रति 10-12 घंटे के आधार पर बढ़ रही है. WHO लगातार इस पर अपनी नजर बनाए हुए है. इसके फैलने की तीव्रता और इसकी गंभीरता को लेकर हर कोई चिंतित है और भारत सरकार ने तो इससे निपटने के लिए बेहद ही कठोर कदम उठाए हैं. अभी भी लगातार लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है. इसके संपर्क को लेकर परीक्षण किया जा रहा है. भारत सरकार ने 15 अप्रैल तक लॉक डाउन भी घोषित कर दिया है.
जवाब- एक मेडिकल डॉक्टर के रूप में मैं अपनी मेडिकल बुक्स को याद कर रही थी तो पार्क चैप्टर की वो किताब याद आई, जिसमें 1890 में फैले उस बुपोनिक प्लेग का जिक्र था जिससे गंभीर नुकसान हुआ था. वो चीन के युन्नान से शुरु हुआ था. ऐसा लगता है कि हम फिर से उसी रास्ते पर चल रहे हैं लेकिन अब जब साल 2020 में इतिहास लिखा जा रहा है, जब विज्ञान और प्रौद्योगिकी अपने चरम पर है, तो ऐसा लगता है कि प्रकृति चाहती है कि कुछ किया जाए. बहुत से देशों का रक्षा बजट उस देश के स्वास्थ्य और शिक्षा बजट से ज्यादा होता है. सीमित संसाधन और वैश्विक स्तर पर इसके लिए तैयारियां निराश करती हैं.
सवाल- महामारी शब्द से खौफ महसूस करते हैं लोग?
जवाब- बात महामारी की भी कर लेते हैं, जिसका इस्तेमाल WHO ने ही किया है. WHO ने कोरोना वायरस को एक महामारी घोषित कर दिया है और ये कोई ऐसा शब्द नहीं है जिसको हल्के में लिया जा सकता हो. ये एक ऐसा शब्द है जो डर बैठाता है. इससे अनावश्यक पीड़ा तो होती है, साथ ही कभी भी मौत आ जाने का खौफ होता है. हमने कोरोना वायरस से उत्पन्न हुई ऐसी महामारी को पहले कभी नहीं देखा. ये ऐसी पहली महामारी है जो वायरस की वजह से हुई है. यहां तक कि SARS और HIV भी इतने गंभीर नहीं थे, जबकि इन बीमारियों का फैलने का तरीका और मृत्यु दर काफी अलग है. वैसे तो Remdesivir नाम का एंटी-वायरल है जो COVID-19 के लिए संभावित इलाज हो सकता है. उम्मीद करते हैं कि यह दुनिया के लिए मुफ्त हो और हर जगह आसानी से उपलब्ध हो सके. सिर्फ टेस्टिंग PCR किट में ही नहीं जो कि अभी बहुत से देशों को उपलब्ध नहीं हो सका है.
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सवाल- बचाव के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
जवाब- अन्य देशों के लिए ये जरूरी हो गया है कि इसको लेकर अब जल्द ही कोई ठोस और आक्रामक कदम उठाएं. अगर अलग-अलग देश इसका पता लगाएंगे, इसको टेस्ट करेंगे, इसका इलाज करेंगे, फिर अलग करेंगे, ट्रेस करेंगे और इस बीमारी से संक्रमित लोगों को जल्द से जल्द इकट्ठा कर लेंगे तो ये मुट्ठी भर मामले उन मामलों को और ज्यादा बड़ा होने से रोक पाएंगे. साथ ही इसे एक समूह सामुदायिक संचरण बनने से भी रोका जा सकेगा. कई देशों ने दिखाया है कि इस वायरस को रोका जा सकता है या फिर नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन ये कहीं ना कहीं उम्र के कारकों पर निर्भर करता है, शरीर की अन्य स्वास्थ्य समस्याओं पर भी निर्भर करता है और साथ ही कितनी जल्दी इस बीमारी पहचाना जाता है, इसपर भी निर्भर करता है. ऐसे देश जो बड़े समूहों में इस बीमारी से डील कर रहे हैं अब उनके लिए चुनौती ये नहीं है कि क्या वो कर सकते हैं, बल्कि चुनौती ये है कि इससे निपटने के लिए अब वो क्या करेंगे. कुछ देश ऐसे हैं जो संसाधनों और क्षमता की कमी से जूझ रहे हैं तो कुछ देशों में संकल्प की ही कमी है.
सवाल- देश की अर्थव्यवस्था को कैसे सुधारा जाए?
जवाब- हम जानते हैं कि ये चीजें चीन और चीन जैसी अर्थव्यवस्थाओं पर भारी पड़ रही हैं. मेरा ये मानना है कि अभी के इस दौर में जब भारत सरकार पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था का सामना कर रही है, ऐसे में इसे एक अवसर के रूप में लिया जा सकता है. हमारे पास बहुत सारे कौशल हैं, जिनका इस्तेमाल हम ऐसे समय पर कर सकते हैं. घर में ही इस्तेमाल की जाने वाली चीजों को अपने देश में बनाकर जैसे कि सोलर बल्ब, कॉटन यार्न, सैनिटरी पैड, रोबोटिक सीवेज क्लीनिंग, अगरबत्ती. दरअसल ऐसे सामान की लिस्ट बहुत लंबी है. हमें एक निर्यातक बनना चाहिए और ऐसी डील करनी चाहिए, जिससे कि भारत की अर्थव्यवस्था को बूम दिया जा सके और इसके लिए सिर्फ एक ही पोर्ट को खुला रखना चाहिए. ये निश्चित करना चाहिए कि उस पोर्ट तक कोई भी कोरोना संक्रमित पहुंचने ना पाए. और सिर्फ उसी पोर्ट से काम करके बाकी सभी पोर्ट्स को बंद कर देना चाहिए, ताकि भारत में कोरोना को और फैलने से रोका जा सके. इसके अलावा हमें इस काम में लोन देने वालों को ब्याज में छूट भी देनी चाहिए.
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सवाल- कोरोना वायरस को लेकर लोगों को ठगने का सिलसिला शुरू हो गया है?
जवाब- सभी लोग अपने देश के नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. नागरिकों को आर्थिक और सामाजिक मजबूती देने के लिए काम कर रहे हैं. भारत को इसे भी एक अवसर के रूप में देखना होगा. यह दुखद है कि 2020 के युग में हम कई मिथकों को देख रहे हैं, जैसे नहाने के लिए कोरोना साबुन भारतीय बाजार में एंट्री कर चुका है, कोरोना से बचने के लिए क्रीम मार्केट में आ गई है. कोरोना को लेकर कोई पूजा या फिर झाड़ फूंक, क्योंकि कोरोना कोई ऐसी बीमारी नहीं है जो इस सबसे ठीक हो सके. ये एक वायरस है या कहें कि ये एक फ्लू है, जोकि काफी घातक है और इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं. ये सिर्फ एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट नहीं है, यह एक ऐसा संकट है जो हर क्षेत्र को छुएगा, इसलिए हर क्षेत्र और प्रत्येक व्यक्ति को इस लड़ाई में शामिल होना होगा. जैसे डॉक्टरों की कमी के समय पर हमारी बहादुर इंडियन आर्मी काम कर रही है. हमें अपनी इंडियन आर्मी को फिर एक बार गर्व की नजर से देखना होगा, जब वो ऐसे समय पर जोधपुर, झांसी, गोरखपुर, कोलकाता, जैसलमेर, चेन्नई और देओलाली जैसी जगहों पर नई सुविधाओं के साथ कोरोना संक्रमित लोगों को रखने के लिए काम कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना मानेसर में प्रतिदिन लगभग 3.5 लाख रुपये खर्च कर रही है. भारतीय सेना ने अपने 60 कर्मियों को इसके लिए प्रतिबद्ध कर दिया है. हमें गर्व महसूस करना चाहिए और एक राष्ट्र के रूप में एक साथ मिल जाना चाहिए क्योंकि यह कोरोना से लड़ने के लिए हर एक व्यक्ति का कर्तव्य है.
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सवाल- कोरोना वायरस से बचाव के लिए किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?जवाब- पहला, आप घबराएं बिल्कुल नहीं. कोई भी साबुन, मास्क या हैंड सैनिटाइजर आपकी ज्यादा मदद नहीं करेगा. दूसरा, बीमारी का पता लगाना, इससे सुरक्षित रखना और इसका इलाज करना. अगर बीमारी को लेकर या कोरोना वायरस को लेकर आपके मन में कोई शंकाएं हैं, खुद को लेकर या किसी अजनबी को लेकर या फिर किसी दोस्त को लेकर कोई भी शंकाएं हैं तो सबसे पहले इस बारे में किसी ना किसी को जानकारी जरूर दें. तीसरा, ट्रांसमिशन कम करें मतलब कि सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचें. चेहरे को छूने से बचें और साफ-सफाई का पूरा-पूरा ध्यान रखें. चौथा, कुछ नया करना और सीखना, सबसे पहले हमें अपनी इम्युनिटी को बढ़ाना होगा. सभी वायरस की काट विटामिन C होता है तो उसे अपनी डाइट में बढ़ाना होगा. विटामिन E और एंटीऑक्सिडेंट्स को भी इस्तेमाल करना शुरु करना होगा. कोरोना वायरस प्रभावित जगहों पर जाने से बचना होगा. खांसी-बुखार को नजरअंदाज करने से बचना होगा. कच्चा पदार्थ और सी-फूड को खाने से खुद को रोकना होगा. अच्छा खाने से हम फुर्तीला महसूस करेंगे जिससे कि कोरोना हमारे आसपास भी नहीं फटकेगा.
अब ऐसे कुछ शब्दों की बात कर लेते हैं जो आपको सिर्फ कोरोना ही नहीं बल्कि किसी भी ऐसी परेशानी से बचाएंगे, जो आपके लिए घातक हो सकती है. Prevention यानि कि बचाव, Preparedness यानि कि तैयारी, Public Health यानि कि सार्वजनिक स्वास्थ्य, Political Leadership यानि कि राजनीतिक नेतृत्व. ये ऐसे शब्द हैं जो हर किसी के जीवन में काफी मायने रखते हैं और किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए काफी सहायक हो सकते हैं. हमें इस घड़ी में एक दूसरे का साथ देना चाहिए, सही चीजें करनी चाहिए. खुद को शांत रखकर खुद को और दूसरे नागरिकों को भी इससे बचाने के प्रयास करने चाहिए. ये संभव है और आसानी से किया जा सकता है. किसी भी तरह के संदेह को अपने दिमाग पर हावी ना होने दें. मिथकों से दूरी बनाकर रखें. परिवार और घर के पके हुए शाकाहारी भोजन को ही खाएं. प्यार और देखभाल के साथ अपनी और अपने परिवार की इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए काम करें. स्वच्छ रहना बेहद जरूरी है, हम सब मिलकर कोरोना वायरस से लड़ सकते हैं
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