मंदिर में सबसे पहले करीब 50 फुट ऊंचे और 60 फुट चौड़े लोहे के मजबूत गार्डर का घेरा बनाया गया है. इस घेरे को लोहे की मजबूत जाली से ऊपर समेत चारों तरफ से इतनी मजबूती से वेल्ड किया गया है कि किसी के घुसने की गुंजाइश ना रहे
अब तक टेंट में रह रहे रामलला अब अस्थायी मंदिर में प्रवेश करेंगे. गुरुवार को इस मंदिर को स्थाई रूप दिया जाएगा. अस्थायी मंदिर का काम लगभग पूरा हो चुका है. यह पहले वाले मंदिर के पास ही बना है. भगवा रंग में सजाये जा रहे इस मंदिर का पहला घेरा लोहे के गार्डर में जालीयुक्त है, तो दूसरा लकड़ी का है. आखिरी घेरे में भव्य बुलेटप्रूफ फाइबर का मंदिर है, जिसमें रामलला विराजमान होंगे.
अब तक टेंट में रह रहे रामलला अब अस्थायी मंदिर में प्रवेश करेंगे. गुरुवार को इस मंदिर को स्थाई रूप दिया जाएगा. अस्थायी मंदिर का काम लगभग पूरा हो चुका है. यह पहले वाले मंदिर के पास ही बना है. भगवा रंग में सजाये जा रहे इस मंदिर का पहला घेरा लोहे के गार्डर में जालीयुक्त है, तो दूसरा लकड़ी का है. आखिरी घेरे में भव्य बुलेटप्रूफ फाइबर का मंदिर है, जिसमें रामलला विराजमान होंगे.
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मंदिर में सबसे पहले करीब 50 फुट ऊंचा और 60 फुट चौड़े लोहे के मजबूत गार्डर का घेरा बनाया गया है. इस घेरे को लोहे की मजबूत जाली से ऊपर समेत चारों तरफ से इतनी मजबूती से वेल्ड किया गया है कि किसी के घुसने की गुंजाइश ना रहे.
इसके भीतर पूर्व मुखी मंदिर के चबूतरे का पिछला हिस्सा जाल से सटा है. फिर तीन फुट ऊंचे चबूतरे पर 24 गुणा 17 फुट का विदेशी मजबूत मलेशियन लकड़ी का करीब 25 फुट ऊंचा मंदिरनुमा फाउंडेशन के साथ पूरा ढांचा खड़ा किया गया है.
अस्थाई मंदिर के भीतर जाने का एक मात्र द्वार पूर्व दिशा में रखा गया है. अंदर का आखिरी सुरक्षा घेरा वाला मुख्य मंदिर का भव्य स्वरूप बुलेटप्रूफ फाइबर से बनेगा. इस मंदिर में एक मात्र पूर्व दिशा की ओर का गेट भी बुलेटप्रूफ होगा. मंदिर में तीन गेट होंगे, दूसरा लकड़ी का और तीसरा मजबूत लोहे का होगा.
मंदिर में सबसे पहले करीब 50 फुट ऊंचा और 60 फुट चौड़े लोहे के मजबूत गार्डर का घेरा बनाया गया है. इस घेरे को लोहे की मजबूत जाली से ऊपर समेत चारों तरफ से इतनी मजबूती से वेल्ड किया गया है कि किसी के घुसने की गुंजाइश ना रहे.
इसके भीतर पूर्व मुखी मंदिर के चबूतरे का पिछला हिस्सा जाल से सटा है. फिर तीन फुट ऊंचे चबूतरे पर 24 गुणा 17 फुट का विदेशी मजबूत मलेशियन लकड़ी का करीब 25 फुट ऊंचा मंदिरनुमा फाउंडेशन के साथ पूरा ढांचा खड़ा किया गया है.
अस्थाई मंदिर के भीतर जाने का एक मात्र द्वार पूर्व दिशा में रखा गया है. अंदर का आखिरी सुरक्षा घेरा वाला मुख्य मंदिर का भव्य स्वरूप बुलेटप्रूफ फाइबर से बनेगा. इस मंदिर में एक मात्र पूर्व दिशा की ओर का गेट भी बुलेटप्रूफ होगा. मंदिर में तीन गेट होंगे, दूसरा लकड़ी का और तीसरा मजबूत लोहे का होगा.
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भक्तों की सुरक्षा व बंदरों से बचाव के लिए दर्शन मार्ग को भी पूरी तरह लोहे के गार्डर में जाली लगाकर पैक किया गया है. लोहे की गार्डर व जाली जहां भगवा रंग से रंगने का काम शुरू हुआ है. वहीं लकड़ी का सामान गृह मंत्रालय की टीम दिल्ली से ही भगवा रंग का ले आई थी.
मंदिर में आनेवाले लोगों के लिए कोरोना वायरस से बचाव के लिए भी सैनिटाइजेशन व हाथ धोने के प्रबंध ट्रस्ट की ओर से किए जाएंगे.
रामलला 24 मार्च को फाइवर के मंदिर में जाएंगे
बता दें, रामलला विराजमान चैत्र नवरात्र से एक दिन पहले 24 मार्च को फाइबर के मंदिर में विराजमान होंगे. राम जन्मभूमि पर मंदिर बनने तक वह इसी फाइबर के मंदिर में रहेंगे. यह जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने दी थी. चंपत राय के मुताबिक, ट्रस्ट की दूसरी बैठक रामनवमी के बाद चार अप्रैल को अयोध्या में ही होगी.
गौरतलब है कि फाइबर से बना यह राम मंदिर पानी और अग्नि से पूरी तरह सुरक्षित है. यह पहला मौका होगा, जब 1992 के बाद रामलला अपने टेंट से निकलकर फाइबर से बने सुख-सुविधायुक्त मंदिर में स्थानांतरित होंगे.
रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, "27 वर्षों से रामलला टेंट में विराजमान हैं. अब रामलला का फाइबर का मंदिर आ गया है. इसमें जल्द से जल्द रामलला को शिफ्ट कर दिया जाएगा. फाइबर का मंदिर बहुत अच्छा है. उसमें रामलला के लिए जरूरत की सारी सुख-सुविधाएं होंगी. रामलला को अब किसी भी तरह की समस्या नहीं होगी."
श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के खाते में पहली बार 20 फरवरी से 5 मार्च तक की रामलला को चढ़ाई गई धनराशि जमा की गई. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के खाता संचालन के लिए अधिकृत सदस्य डॉ. अनिल मिश्र के मुताबिक, अयोध्या की भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में खोले गए ट्रस्ट के खाते में गुरुवार व शुक्रवार दो दिनों की काउंटिंग के बाद आठ लाख चार हजार 982 रुपये जमा किए गए हैं.
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गौरतलब है कि फाइबर से बना यह राम मंदिर पानी और अग्नि से पूरी तरह सुरक्षित है. यह पहला मौका होगा, जब 1992 के बाद रामलला अपने टेंट से निकलकर फाइबर से बने सुख-सुविधायुक्त मंदिर में स्थानांतरित होंगे.
रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, "27 वर्षों से रामलला टेंट में विराजमान हैं. अब रामलला का फाइबर का मंदिर आ गया है. इसमें जल्द से जल्द रामलला को शिफ्ट कर दिया जाएगा. फाइबर का मंदिर बहुत अच्छा है. उसमें रामलला के लिए जरूरत की सारी सुख-सुविधाएं होंगी. रामलला को अब किसी भी तरह की समस्या नहीं होगी."
श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के खाते में पहली बार 20 फरवरी से 5 मार्च तक की रामलला को चढ़ाई गई धनराशि जमा की गई. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के खाता संचालन के लिए अधिकृत सदस्य डॉ. अनिल मिश्र के मुताबिक, अयोध्या की भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में खोले गए ट्रस्ट के खाते में गुरुवार व शुक्रवार दो दिनों की काउंटिंग के बाद आठ लाख चार हजार 982 रुपये जमा किए गए हैं.
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