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गुरुवार, 19 मार्च 2020

Breaking: Nirbhya kes के चारों गुनहगारों को एक साथ दी गई फांसी

Breaking: Nirbhya kes के चारों गुनहगारों को एक साथ दी गई फांसी
निर्भया के चारों दोषियों को फांसी की सजा दी गई


Breaking: Nirbhya kes के चारों गुनहगारों को एक साथ दी गई फांसी


लखनऊ, 

निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों को शुक्रवार सुबह तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे पर लटकाया गया. साल 2012 में दिल्ली में एक बस में इन दंरिदों ने निर्भया के साथ गैंगरेप किया था, जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी

साल 2012 में राजधानी दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप कांड में आज करीब सवा सात साल के बाद इंसाफ हुआ है. तिहाड़ जेल के फांसी घर में शुक्रवार सुबह ठीक 5.30 बजे निर्भया के चारों दोषियों को फांसी दी गई. निर्भया के चारों दोषियों विनय, अक्षय, मुकेश और पवन गुप्ता को एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया गया और अब इनके शवों को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जाएगा.
सात साल 3 महीने और तीन दिन पहले यानी 16 दिसंबर 2012 को देश की राजधानी में हुई इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. सड़कों पर युवाओं का सैलाब इंसाफ मांगने के लिए निकला था और आज जाकर उसका नतीजा निकला है.
निर्भया की मां आशा देवी ने एक लंबे समय तक इंसाफ के लिए इस लड़ाई को लड़ा था, आज जब दोषियों को फांसी दी गई तो उन्होंने ऐलान किया कि 20 मार्च को वह निर्भया दिवस के रूप में मनाएंगी.

 हुई थी बचाने की भरपूर कोशिश

निर्भया के चारों दोषियों की ओर से आखिरी वक्त तक फांसी को टालने की कोशिश की गई. वकील एपी सिंह ने फांसी के दिन से एक दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट में डेथ वारंट को टालने के लिए याचिका दायर की गई, लेकिन इसमें दोषियों के खिलाफ फैसला आया.
आधी रात को वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और जब सर्वोच्च अदालत बैठी तो वहां भी निर्भया के दोषी कुछ ऐसी दलील नहीं दे सके जिसकी वजह से ये फांसी टले.
मुख्य घटना की शुरुआत 16 दिसंबर की रात
16 दिसंबर 2012 की रात को हिंदुस्तान में कोई शख्स नहीं भूल सकता. राजधानी दिल्ली के मुनेरका में 6 लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से गैंगरेप किया. इस मामले में दरिंदगी की वो सारी हदें पार की गईं, जिसे देखकर-सुनकर कोई दरिंदा भी दहशत में आ जाए. वारदात के वक्त पीड़िता का दोस्त भी बस में था. दोषियों ने उसके साथ भी मारपीट की थी. इसके बाद युवती और दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया था.
पीड़िता का दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन हालत में सुधार नहीं होने पर उसे सिंगापुर भेजा गया. वहां अस्पताल में इलाज के दौरान 29 दिसंबर को पीड़िता जिंदगी की जंग हार गई. पीड़िता की मां ने बताया था कि वह आखिरी दम तक जीना चाहती थी.


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