कोरोना वायरस: भारत के लिए आई बड़ी रिपोर्ट, 4 माह के लिए बजाई खतरे की घंटी
अखिल राज सिंह
27 मार्च 2020
कोरोना वायरस को लेकर भारत में काफी तैयारियां चल रही है. लोग लॉकडाउन हैं. लेकिन इसके बावजूद 694 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं. वहीं, 16 लोगों की मौत हो चुकी है. अब भारत को लेकर दुनिया की एक बड़ी यूनिवर्सिटी ने रिपोर्ट दी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे भारत के सिर पर खतरे की घंटी बज रही है. यह वायरस भारत को अगले चार महीने बहुत ज्यादा परेशान करने वाला है. रिपोर्ट में कोरोना को हराने के रास्ते भी बताए गए हैं.
मोटे लोगों को सबसे पहले होता है कोरोना, जाने क्यों
ये रिपोर्ट तैयार की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी और द सेंटर फॉर डिजीज़ डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (CDDEP) ने. इसमें भारत का अध्ययन करने के लिए सभी आंकड़ें भारत की आधिकारिक वेबसाइटों का उपयोग किया गया है.
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कोरोना वायरस की डरावनी लहर जुलाई अंत या अगस्त के मध्य तक खत्म होगी. इसमें पांच राज्यों के ग्राफ भी बनाकर दिखाए गए हैं.
हंता वायरस पहुंचा अमेरिका जाने कितना ख़तरनाक है ये
पूरे देश में सबसे ज्यादा लोग अप्रैल मध्य से लेकर मई मध्य तक कोरोना से संक्रमित होकर अस्पतालों में भर्ती होंगे. फिर जुलाई मध्य तक यह संख्या कम होती चली जाएगी. अगस्त तक इसके खत्म होने की उम्मीद है. इस ग्राफ के मुताबिक करीब 25 लाख लोग इस वायरस की चपेट में आकर अस्पतालों तक जाएंगे.
स्टडी में बताया गया है कि यह पता नहीं चल पा रहा है कि भारत में कितने लोग संक्रमित हैं. क्योंकि कई लोग एसिम्टोमैटिक यानी अलक्षणी है. इसका मतलब ये हैं कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोग ज्यादा हैं. उनमें कोरोना के लक्षण भी होंगे लेकिन हल्के स्तर के. इसलिए जब वह तीव्र होगा तभी पता चल पाएगा.
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की स्टडी में बताया गया है कि बुजुर्गों की आबादी को सोशल डिस्टेंसिंग का ज्यादा ध्यान रखना होगा. जितना ज्यादा लॉकडाउन होगा उतने ही ज्यादा लोग बचे रहेंगे. सोशल डिस्टेंसिंग के अलावा इससे बचने का फिलहाल कोई रास्ता नहीं है.
आपको पता है अभी तक कितने लाख लोग इंडिया आए हैं, सब पर है सरकार की नजर
सबसे बड़ी दिक्कत ये बताई गई है कि भारत में करीब 10 लाख वेंटीलेटर्स की जरूरत पड़ेगी. लेकिन भारत में अभी 30 से 50 हजार वेंटीलेटर्स ही हैं. अमेरिका में 1.60 लाख वेंटीलेटर्स हैं लेकिन वो भी कम पड़ रहे हैं. जबकि, उनकी आबादी भारत से कम है.
स्टडी में बताया गया है कि भारत के सभी अस्पतालों के अगले तीन महीने बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी. भारत को भी चीन और अन्य देशों की तरह अस्थाई अस्पताल बनाने पड़ेंगे. दूसरा, अस्पतालों से संक्रमण न फैले इसका भी ध्यान रखना पड़ेगा.
भारत में चल रही जांच की प्रक्रिया भी धीमी है. क्योंकि जितने ज्यादा जांच होंगे उतने ज्यादा सही परिणाम मिलेंगे. अगर सही तरीके से जांच की जाए तो उन बुजुर्गों को बचाया जा सकेगा जो कोरोना वायरस से संक्रमित हैं.
स्टडी में बताया गया है कि भारत में स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त मास्क, हैजमट सूट, फेस गियर आदि नहीं है. इससे मेडिकल स्टाफ भी खतरे में पड़ जाएगा. इससे स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी आएगी.
Jio लेकर आया वर्क फ्रॉम होम प्लान, अब इन वाउचर्स के साथ मिलेगा डबल डेटा
जॉन हॉकिन्स की स्टडी में यह भी बताया गया है कि कुछ राज्यों में अभी कोरोना संक्रमण के मामले कम दिख रहे हैं. लेकिन जैसे ही लॉकडाउन हटेगा या फिर एक-दो हफ्ते बाद मामले सामने आएंगे. तब दिक्कत और बढ़ जाएगी.
कई राज्यों में अस्पतालों और ICU में बेड की कमी है. ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी हो जाएगी. ऑक्सीजन मास्क और वेंटीलेटर्स भी कम हैं भारत में. इससे काफी दिक्कत आ सकती है.
तापमान और उमस में बढ़ोतरी होने पर वायरस के संक्रमण या फैलाव पर थोड़ा असर होगा, लेकिन वो पर्याप्त नहीं होगा. क्योंकि इस वायरस पर तापमान का ज्यादा असर होता दिख नहीं रहा है.
स्टडी में बताया गया है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भी इस वायरस से बचाना बेहद जरूरी है. इसके लिए पहले ही जांच कराई जानी चाहिए. ताकि पता चल सके कि देश में बच्चों की क्या हालत हैं इस वायरस की वजह से.
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अखिल राज सिंह
27 मार्च 2020
कोरोना वायरस को लेकर भारत में काफी तैयारियां चल रही है. लोग लॉकडाउन हैं. लेकिन इसके बावजूद 694 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं. वहीं, 16 लोगों की मौत हो चुकी है. अब भारत को लेकर दुनिया की एक बड़ी यूनिवर्सिटी ने रिपोर्ट दी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे भारत के सिर पर खतरे की घंटी बज रही है. यह वायरस भारत को अगले चार महीने बहुत ज्यादा परेशान करने वाला है. रिपोर्ट में कोरोना को हराने के रास्ते भी बताए गए हैं.
मोटे लोगों को सबसे पहले होता है कोरोना, जाने क्यों
ये रिपोर्ट तैयार की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी और द सेंटर फॉर डिजीज़ डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (CDDEP) ने. इसमें भारत का अध्ययन करने के लिए सभी आंकड़ें भारत की आधिकारिक वेबसाइटों का उपयोग किया गया है.
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कोरोना वायरस की डरावनी लहर जुलाई अंत या अगस्त के मध्य तक खत्म होगी. इसमें पांच राज्यों के ग्राफ भी बनाकर दिखाए गए हैं.
हंता वायरस पहुंचा अमेरिका जाने कितना ख़तरनाक है ये
पूरे देश में सबसे ज्यादा लोग अप्रैल मध्य से लेकर मई मध्य तक कोरोना से संक्रमित होकर अस्पतालों में भर्ती होंगे. फिर जुलाई मध्य तक यह संख्या कम होती चली जाएगी. अगस्त तक इसके खत्म होने की उम्मीद है. इस ग्राफ के मुताबिक करीब 25 लाख लोग इस वायरस की चपेट में आकर अस्पतालों तक जाएंगे.
स्टडी में बताया गया है कि यह पता नहीं चल पा रहा है कि भारत में कितने लोग संक्रमित हैं. क्योंकि कई लोग एसिम्टोमैटिक यानी अलक्षणी है. इसका मतलब ये हैं कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोग ज्यादा हैं. उनमें कोरोना के लक्षण भी होंगे लेकिन हल्के स्तर के. इसलिए जब वह तीव्र होगा तभी पता चल पाएगा.
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की स्टडी में बताया गया है कि बुजुर्गों की आबादी को सोशल डिस्टेंसिंग का ज्यादा ध्यान रखना होगा. जितना ज्यादा लॉकडाउन होगा उतने ही ज्यादा लोग बचे रहेंगे. सोशल डिस्टेंसिंग के अलावा इससे बचने का फिलहाल कोई रास्ता नहीं है.
आपको पता है अभी तक कितने लाख लोग इंडिया आए हैं, सब पर है सरकार की नजर
सबसे बड़ी दिक्कत ये बताई गई है कि भारत में करीब 10 लाख वेंटीलेटर्स की जरूरत पड़ेगी. लेकिन भारत में अभी 30 से 50 हजार वेंटीलेटर्स ही हैं. अमेरिका में 1.60 लाख वेंटीलेटर्स हैं लेकिन वो भी कम पड़ रहे हैं. जबकि, उनकी आबादी भारत से कम है.
स्टडी में बताया गया है कि भारत के सभी अस्पतालों के अगले तीन महीने बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी. भारत को भी चीन और अन्य देशों की तरह अस्थाई अस्पताल बनाने पड़ेंगे. दूसरा, अस्पतालों से संक्रमण न फैले इसका भी ध्यान रखना पड़ेगा.
भारत में चल रही जांच की प्रक्रिया भी धीमी है. क्योंकि जितने ज्यादा जांच होंगे उतने ज्यादा सही परिणाम मिलेंगे. अगर सही तरीके से जांच की जाए तो उन बुजुर्गों को बचाया जा सकेगा जो कोरोना वायरस से संक्रमित हैं.
स्टडी में बताया गया है कि भारत में स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त मास्क, हैजमट सूट, फेस गियर आदि नहीं है. इससे मेडिकल स्टाफ भी खतरे में पड़ जाएगा. इससे स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी आएगी.
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जॉन हॉकिन्स की स्टडी में यह भी बताया गया है कि कुछ राज्यों में अभी कोरोना संक्रमण के मामले कम दिख रहे हैं. लेकिन जैसे ही लॉकडाउन हटेगा या फिर एक-दो हफ्ते बाद मामले सामने आएंगे. तब दिक्कत और बढ़ जाएगी.
कई राज्यों में अस्पतालों और ICU में बेड की कमी है. ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी हो जाएगी. ऑक्सीजन मास्क और वेंटीलेटर्स भी कम हैं भारत में. इससे काफी दिक्कत आ सकती है.
तापमान और उमस में बढ़ोतरी होने पर वायरस के संक्रमण या फैलाव पर थोड़ा असर होगा, लेकिन वो पर्याप्त नहीं होगा. क्योंकि इस वायरस पर तापमान का ज्यादा असर होता दिख नहीं रहा है.
स्टडी में बताया गया है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भी इस वायरस से बचाना बेहद जरूरी है. इसके लिए पहले ही जांच कराई जानी चाहिए. ताकि पता चल सके कि देश में बच्चों की क्या हालत हैं इस वायरस की वजह से.
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