क्या है तबलीगी जमात और मरकज पढें पूरा मामला क्या है
अखिल राज सिंहलखनऊ, 2 अप्रैल 2020
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण देश में लागू किए गए लॉकडाउन के बीच बीते सोमवार को तेलंगाना से आई एक खबर के आने से हड़कंप मच गया। वहां छह लोगों की मौत हो गई थी। जांच पड़ताल में पता चला था कि ये सभी दिल्ली में एक बड़े धार्मिक जलसे में शामिल होकर घर लौटे थे। यह जलसा तब्लीगी जमात था,यह दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित मरकज में आयोजित किया गया था।तो आइए जानते हैं क्या होती है तब्लीगी जमात, क्या हैं इसके मायने....
तब्लीगी, जमात और मरकज क्या हैं?
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तब्लीगी जमात से जो लोग जुड़े हैं वह पारंपरिक इस्लाम को मानते हैं और इसी का प्रचार-प्रसार करते हैं।
ईसका मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में है। एक दावे के मुताबिक इस जमात में दुनियाभर के 15 करोड़ सदस्य हैं। 20वीं सदी में तबलीगी जमात को इस्लाम का एक और बड़ा और अहम आंदोलन माना गया था।
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यह कहां से, कैसे हुई शुरू
बताया जाता है 'तब्लीगी जमात' की शुरुआत इस्लाम का प्रचार-प्रसार और मुस्लिम को धर्म संबंधी जानकारियां देने के लिए की गई थी।
इसके पीछे कारण यह था कि मुगल काल में कई लोगों ने इस्लाम धर्म कबूल किया था, लेकिन फिर वो सभी हिंदू परंपरा और रीति-रिवाज में अपने सारे काम करते थे
अंग्रेजों के काल में भारत में आर्य समाज ने उन्हें दोबारा से हिंदू बनाने के लिए शुद्धिकरण अभियान शुरू किया , जिसके चलते मौलाना इलियास कांधलवी ने उन सबको इस्लाम की शिक्षा देने का काम प्रारंभ किया।
तबलीगी जमात आंदोलन 1927 में मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने भारत में हरियाणा के नूंह जिले के गांव से शुरू किया था।
जमात के छह मुख्य उद्देश्य या "छ: उसूल" हैं (कलिमा, सलात, इल्म, इक्राम-ए-मुस्लिम, इख्लास-ए-निय्यत, दावत-ओ-तब्लीग) हैं।अब यह 213 देशों तक फैल चुका है।
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कैसे करता है यह काम
तब्लीगी जमात के मरकज से ही अलग-अलग हिस्सों के लिए तमाम जमातें या समूह या फिर आप इसे जत्था भी कह सकते हैं, निकलती हैं।
यह जमात तीन दिन, पांच दिन, दस दिन, 40 दिन और चार महीने तक की यात्रा पर जाती हैं।
एक जमात में आठ से दस लोग शामिल होते हैं। इनमें दो लोग सेवा के लिए होते हैं जो कि उनके लिए खाना बनाते हैं।
जमात में शामिल लोग सुबह-शाम शहर में निकलते हैं और लोगों से नजदीकी मस्जिद में पहुंचने के लिए कहते हैं।
सुबह के वक्त ये हदीस पढ़ते हैं और नमाज पढ़ने और रोजा रखने पर इनका ज्यादा जोर होता है। इस तरह से ये अलग-अलग इलाकों में इस्लाम का प्रचार करते हैं और अपने धर्म के बारे में लोगों को बताते हैं।
पहली मरकज और इज्तिमा
हरियाणा के नूंह से वर्ष 1927 में शुरू हुई तब्लीगी जमात की पहली मरकज 14 साल बाद हुई थी। साल 1941 में 25 हजार लोगों के साथ पहली बैठक हुई थी।
इसके बाद ही यह यहां से पूरी दुनिया में फैल गया। विश्व के अलग-अलग देशों में हर साल इसका सालाना जलसा होता है, जिसे इज्तिमा कहते हैं। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में साल 1949 में सबसे पहले इज्तिमा आयोजित किया गया था।
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