कोरोना कहर में जीबी रोड पर फंसी हैं 2000 से ज्यादा देह व्यापार करने वाली लड़कियां देखें यहां👇
राहुल राजपूत
नई दिल्ली, 30 March, 2020
जीबी रोड के करीब 2000 से अधिक यौनकर्मी अपने ठिकानों में ही बंद हैं, वैश्यालयों के मालिकों ने तालाबंदी के कारण जिस्मफरोशी का कारोबार बंद कर दिया है.
- कोरोनाः जीबी रोड पर फंसी हैं 2000 यौनकर्मी, 200 से ज्यादा बच्चे
- इन यौनकर्मियों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है
दिल्ली के रेड लाइट एरिया में फंसीं यौनकर्मीइनके पास ना मास्क है और न बचने के साधनइनके लिए खाने की कमी भी बनी परेशानी
भारत में देह व्यापार पर प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन कई शहरों में रेड लाइट एरिया अभी भी मौजूद है. अजमेरी गेट से लाहौरी गेट तक एक या दो किलोमीटर के इलाके में मौजूद जीबी रोड की गिनती भारत के सबसे बड़े रेड लाइट इलाकों में होती है. जहां एक साथ 100 से ज्यादा वैश्यालय मौजूद हैं. देह व्यापार के ये सभी ठिकाने सड़क के किनारे बनी दुकानों की छतों पर चलते हैं. जीबी रोड पर करीब 4000 से ज्यादा यौनकर्मी काम करती हैं.
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अब COVID-19 यानी कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन हो जाने से हजारों प्रवासी मजदूर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर अपने घरों की तरफ पलायन कर रहे हैं. कुछ ऐसे भी हैं जिनके पास रहने की भी सुविधा नहीं है. ऐसे में जीबी रोड के करीब 2000 से अधिक यौनकर्मी अपने ठिकानों में ही बंद हैं, वैश्यालयों के मालिकों ने तालाबंदी के कारण जिस्मफरोशी का कारोबार बंद कर दिया है.
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जीबी रोड पर काम करने वाली सेक्स वर्कर्स में से एक, आरती (बदला हुआ नाम) , "ने बताया हम इन गंदे गलियारों में बहुत कम या बिना रोशनी के फंस गए हैं. हमारी समस्याओं की तरफ से पहले ही अधिकारी आंखें मूंद लेते थे, लेकिन अब हमारे लिए चौकसी और भी सख्त हो गई है. हम किराने का सामान या दवाई खरीदने के लिए नीचे भी नहीं जा सकते. हम में से बहुत से लोग बीमार हैं, लेकिन अब हमारे पास कोई साधन नहीं है कि हम डॉक्टर के पास पहुंचें या मदद के लिए फोन करें, हम अकेले मास्क लगाए हुए हैं. पुलिस हमारी कोई बात नहीं सुनती. हमारे पास वैसे भी बहुत कम पैसा बचा है. हमें नहीं पता कि यह तालाबंदी कब खत्म होगी. अगर हम बचे रहे तो मुझे आश्चर्य ही होगा."
श्वेता (बदला हुआ नाम), उन यौनकर्मियों में से एक है, जिसे अपने एक माह के बच्चे के लिए वापस यहां आना पड़ा. वह झारखंड के बाहरी इलाके में एक छोटे से गांव की रहने वाली है. 30 साल की मंजरी को देह व्यापार में उस वक्त धकेला गया था, जब वह 21 साल की थी. तब से वह वेश्यालय में रह रही है. उसने आजतक/इंडिया टुडे को बताया, "हम में से कई लोग महामारी के चलते अपने घरों के लिए रवाना हुए थे. लेकिन हमें वापस आना पड़ा क्योंकि हमें इससे बचने की तैयारियों या इसके नतीजों के बारे में किसी ने नहीं बताया था.
मंजरी का कहना है "जैसे ही लॉकडाउन की घोषणा की गई, कोठा मालिकों ने हमें छोड़ दिया, हमें ठीक से कुछ भी नहीं बताया. बस हमें अपने दम पर छोड़ दिया. हममें से ज्यादातर के पास पैसा नहीं है. हमारे पास बहुत कम खाना बचा है, जिसे हम आपस में बांट कर खा रहे हैं ताकि किसी तरह बचे रहे हैं. मेरे पास अपने एक महीने के बच्चे को पिलाने के लिए पर्याप्त दूध नहीं है. कुछ सामाजिक कार्यकर्ता हमारी मदद कर रहे हैं. हम जानते हैं कि भारतीय समाज में हमारा बहिष्कार होता है, लेकिन हम भी इंसान हैं. अगर सरकार हमें नहीं बचाएगी, तो हम भूखे मरेंगे. कम से कम हमारे बच्चों को तो बचाओ."
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सिविल सोसाइटी के एक राष्ट्रीय नेटवर्क SSN ने बताया, "हमारे सदस्य देश भर में यौनकर्मियों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमारे पास पर्याप्त साधन नहीं हैं. हम उनके बच्चों की ज्यादा चिंता है. उन लोगों को अमानवीय तरीके से उन डिब्बनुमा कमरों में पूरा दिन बंद रहना पड़ा रहा है, ऊपर से उनके पास संसाधनों की कमी के कारण बचने का कोई उपाय भी नहीं है. हम इस मुश्किल घड़ी में इन महिलाओं की मदद करने के लिए सरकार को भी लिखेंगे.'
एक तो हमारे देश में देह व्यापार को लेकर कोई साफ कानून नहीं है. जिसकी वजह से इस कारोबार से जुड़ी महिलाओं का भारी शोषण होता है. ऐसे में कोरोना वायरस जैसी जानलेवा महामारी ने हजारों यौनकर्मियों को बदतर हालात में पहुंचा दिया है. जिसकी वजह से इनका भविष्य अधर में लटका हुआ है.
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