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
केंद्र सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को बढ़ावा देने के लिए चौथे साल किसानों की किश्त माफ करने की तैयारी में है। पीएमएफबीवाई को लगातार जारी रखने वाले किसानों को प्रत्येक चौथे साल में किश्त से छूट देने पर कृषि मंत्रालय अंतिम दौर का विचार-विमर्श कर रहा है। यह सिफारिश नीति आयोग ने देश में योजना का दायरा बढ़ाने के लिए की है। मौजूदा समय देश में महज 29 प्रतिशत यानी करीब 12 करोड़ किसानों ने ही यह बीमा ले रखा है।
कृषि मंत्रालय के मुताबिक पीएमएफबीवाई का दायरा बढ़ाने के लिए विभिन्न स्तरों पर मंत्रालय ने कदम उठाए हैं। किसानों के दावे का निपटारा करने की निर्धारित अवधि दो माह की गई है। इसके एक माह बाद बीमा कंपनियों और राज्यों को मुआवजे के साथ जुर्माने के तौर पर 12 फीसदी ब्याज देना तय किया गया है। इसके अलावा प्रचार-प्रसार और जागरूकता के लिए बीमा कंपनियों को कुल प्रीमियम का 0.5 प्रतिशत खर्च करना अनिवार्य किया गया। मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक नीति आयोग द्वारा की गई सिफारिशों को लागू करने में कोई अड़चन नहीं है। लेकिन गुण-दोषों की जांच के मद्देनजर विमर्श किया जा रहा है। वैसे भी इस बीमा योजना में किसानों से दो प्रतिशत ही लिया जाता है, शेष का भुगतान केंद्र और राज्यों की साझेदारी से होता है।
फसल बीमा को बनाया जाएगा आकर्षक
नीति आयोग द्वारा की गई सिफारिश में स्पष्ट किया गया है कि पीएमएफबीवाई का दायरा बढ़ाने के लिए उसे आकर्षक बनाना होगा जिसके लिए चौथे साल छूट देना होगा। मंत्रालय द्वारा उठाए गए अन्य कदमों के साथ यह एक कारगर कदम होगा। साल 2015-16 में शुरू हुई फसल बीमा योजना में 4,200 करोड़ रुपये का प्रीमियम आया था। यह 2016-17 में बढ़कर 22,180 करोड़ रुपये तक पहुंचा। पिछले वित्त वर्ष में 24,352 करोड़ रुपये हुआ।
खरीफ फसल में बीमा कंपनियों ने 16,276 करोड़ रुपये का प्रीमियम एकत्र किया और 10,425 करोड़ रुपये के दावों का निपटारा किया। जबकि 2017 खरीफ फसल के दौरान 4,077 करोड़ के दावों का निपटारा किया। आयोग के एक अधिकारी के मुताबिक हमारी प्राथमिकता यह है कि इस योजना में किसानों की रुचि बनी रहे। इस पर राज्यों से चर्चा की जाएगी, क्योंकि वह भी किश्त के भुगतान में उतना ही हिस्सा देते हैं जितना केंद्र देता है।
तीन साल के लिए होगी बीमा कंपनी की नियुक्ति
पीएमएफबीवाई में बदले गए नियमों के तहत अब राज्य एक साल की जगह तीन साल के लिए बीमा कंपनी की नियुक्ति कर सकती है। ऐसे में यह सुनिश्चित होगा कि उन्हें लगातार सेवाएं देनी रहेंगी, भले ही फसल खराब होने से दावे ज्यादा आएं या अच्छी होने की वजह से उनमें कमी आ जाए।
फसल बीमा को बनाया जाएगा आकर्षक
नीति आयोग द्वारा की गई सिफारिश में स्पष्ट किया गया है कि पीएमएफबीवाई का दायरा बढ़ाने के लिए उसे आकर्षक बनाना होगा जिसके लिए चौथे साल छूट देना होगा। मंत्रालय द्वारा उठाए गए अन्य कदमों के साथ यह एक कारगर कदम होगा। साल 2015-16 में शुरू हुई फसल बीमा योजना में 4,200 करोड़ रुपये का प्रीमियम आया था। यह 2016-17 में बढ़कर 22,180 करोड़ रुपये तक पहुंचा। पिछले वित्त वर्ष में 24,352 करोड़ रुपये हुआ।
खरीफ फसल में बीमा कंपनियों ने 16,276 करोड़ रुपये का प्रीमियम एकत्र किया और 10,425 करोड़ रुपये के दावों का निपटारा किया। जबकि 2017 खरीफ फसल के दौरान 4,077 करोड़ के दावों का निपटारा किया। आयोग के एक अधिकारी के मुताबिक हमारी प्राथमिकता यह है कि इस योजना में किसानों की रुचि बनी रहे। इस पर राज्यों से चर्चा की जाएगी, क्योंकि वह भी किश्त के भुगतान में उतना ही हिस्सा देते हैं जितना केंद्र देता है।
तीन साल के लिए होगी बीमा कंपनी की नियुक्ति
पीएमएफबीवाई में बदले गए नियमों के तहत अब राज्य एक साल की जगह तीन साल के लिए बीमा कंपनी की नियुक्ति कर सकती है। ऐसे में यह सुनिश्चित होगा कि उन्हें लगातार सेवाएं देनी रहेंगी, भले ही फसल खराब होने से दावे ज्यादा आएं या अच्छी होने की वजह से उनमें कमी आ जाए।
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