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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक मौलाना आजाद लाइब्रेरी में पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगने के बाद एक बार फिर एएमयू विवादों में घिरता नजर आ रहा है। हालांकि जिन्ना की तस्वीर की खबर लगने के बाद आनन-फानन में एएमयू प्रशासन ने फोटो हटवा दिए हैं। इसके साथ ही मौलाना आजाद लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन अमजद अली को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है।
गांधी जयंती पर मौलाना आजाद लाइब्रेरी के केंद्रीय हाल में गांधी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था। इसका उद्घाटन सह कुलपति प्रो. एमएच बेग ने किया था। इसमें महात्मा गांधी से संबंधित पुस्तकों व उन पत्रों को प्रदर्शित किया गया था, जो उन्होंने एएमयू के छात्रों को लिखे थे। गांधी के चित्रों की प्रदर्शनी भी लगी थी। इसमें कुछ ऐसे फोटो भी लगे थे, जिसमें गांधी के साथ जिन्ना भी मौजूद थे।
लाइब्रेरियन को नोटिस देने के साथ हटवाईं तस्वीरें
एक फोटो 1942 में वर्धा में आयोजित कांग्रेस वर्किंग कमेटी की थी, जिसमें गांधी एवं जिन्ना के अतिरिक्त उस समय के कांग्रेस के अन्य कई महत्वपूर्ण नेता नजर आ रहे थे। दूसरी फोटो में भी गांधी-जिन्ना के अतिरिक्त अन्य कई दूसरे नेता नजर आ रहे थे। मौलाना आजाद लाइब्रेरी में जिन्ना की तस्वीर की भनक लगने के बाद एएमयू प्रशासन द्वारा आनन-फानन में तस्वीरों को हटवा दिया गया।
इसके साथ ही मौलाना आजाद लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन अमजद अली को कारण बताओ नोटिस देकर तीन दिन के अंदर जवाब देने को कहा गया है। उनसे पूछा गया है कि फोटोग्राफ क्यों प्रदर्शित किया गया। दरअसल कुछ दिन पहले एएमयू के यूनियन हॉल में जिन्ना की तस्वीर का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उछला था।
इसको लेकर एएमयू प्रशासन सतर्क है और किसी तरह के विवाद को हवा देने के पक्ष में नहीं है। एएमयू जनसंपर्क कार्यालय के मेंबर इंचार्ज प्रो. शाफे किदवई का कहना है कि जिन्ना की तस्वीर का मामला संज्ञान में आने के बाद तमाम फोटो हटवा दिये गये है। लाइब्रेरियन को कारण बताओ नोटिस देकर तीन दिन के अंदर जवाब मांगा गया है।
महात्मा गांधी का रहा है एएमयू से गहरा नेता
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का एएमयू से गहरा नाता रहा है। वह एएमयू छात्र संघ की आजीवन सदस्यता ग्रहण करने वाले वह पहले व्यक्ति थे। एएमयू यात्रा के दौरान उन्होंने यहां के छात्रों से स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया था, जिस पर यहां के छात्र उनकी आवाज पर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए। जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना भी उसी आंदोलन की गवाह बनी।
1938 में जिन्ना को दी थी एएमयू छात्र संघ की मानद सदस्यता
अलीगढ़। देश के बंटवारे के पूर्व 1938 में मोहम्मद अली जिन्ना को एएमयू छात्र संघ द्वारा मानद सदस्यता प्रदान की गई थी। उस समय वह एएमयू में आए भी थे। एएमयू के यूनियन हॉल में आज भी जिन्ना की तस्वीर लगी है। मोहम्मद अली जिन्ना ने मुंबई की संपत्ति का एक हिस्सा एएमयू को दिया था। हालांकि एएमयू द्वारा उस संपत्ति को स्वीकार नहीं किया गया।
राष्ट्रपिता की तस्वीर हटाना गलत : प्रो. इरफान हबीब
प्रख्यात इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब का कहना है कि 1945 का महात्मा गांधी एवं जिन्ना टॉक काफी मशहूर है। इसमें गांधी व जिन्ना के बीच बातचीत हुई थी। हालांकि प्रो. हबीब ने मौलाना आजाद लाइब्रेरी से महात्मा गांधी एवं जिन्ना की तस्वीर हटाने से अनभिज्ञता जतायी और कहा कि राष्ट्रपिता की तस्वीर से भला किसे एतराज हो सकता है।
उन्होंने एएमयू प्रशासन द्वारा लाइब्रेरियन को नोटिस दिये जाने पर भी एतराज जताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिंदू महासभा वाले लोग अंग्रेजों से माफी मांगते रहे हैं। आज वही लोग शोर मचाते रहते हैं।
विदेश में वीसी, एमपी सतीश ने लगाया फोन
एएमयू के कुलपति प्रो. तारिक मंसूर अभी विदेश में है। मौलाना आजाद लाइब्रेरी में जिन्ना की तस्वीर लगने की सूचना मिलने के बाद सांसद एवं एएमयू कोर्ट सदस्य सतीश कुमार गौतम एक बार फिर गरम हो गये हैं। उन्होंने बताया कि सूचना मिलने के तुरंत बाद उन्होंने एएमयू वीसी को फोन लगाया।
वीसी ने पूरे प्रकरण से अनभिज्ञता जताते हुए बताया कि वह विदेश में हैं। सांसद का कहना है कि एएमयू ने ऐसा कृत्य किया है तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। राष्ट्रपति महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री के साथ जिन्ना की तस्वीर बर्दाश्त नहीं करेंगे।
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