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CM योगी @3: मंदिर आंदोलन की नींव से भव्य मंदिर निर्माण तक योगी का रहा है रोल
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मंदिर आंदोलन में गोरखनाथ मठ की रही है अहम भूमिका |
लखनऊ,
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ फिलहाल गोरखनाथ मठ के महंत हैं. यह मठ काफी समय तक मंदिर आंदोलन का केन्द्र बिंदु रहा. महंत दिग्विजयनाथ का इस आंदोलन में खास योगदान रहा है. दिग्विजयनाथ के निधन के बाद उनके शिष्य महंत अवैद्यनाथ ने मंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाया था.
- सीएम योगी आदित्यनाथ का फोकस अयोध्या पर लगातार बना रहा
- मंदिर आंदोलन की शुरुआत से सक्रिय रहा है गोरखनाथ मठ
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के तीन साल पूरे हो रहे हैं. यूपी में ऐसा पहली बार हो रहा है कि बीजेपी का कोई नेता सीएम कुर्सी पर तीन साल पूरे करेगा. बता दें कि 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ ने यूपी के सीएम पद की शपथ ली थी. सीएम बनने से पहले महंत योगी आदित्यनाथ की छवि एक कट्टर हिंदू नेता की थी. गोरखनाथ मठ की भी राम मंदिर आंदोलन में भूमिका रही है. राम मंदिर आंदोलन से लेकर अब भव्य मंदिर निर्माण तक योगी आदित्यनाथ और उनके मठ की भूमिका की कहानी कुछ ऐसी है.
अयोध्या के लिए यह रामनवमी होगी खास
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मंदिर निर्माण में काफी तेजी आई है. मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बन चुका है, मंदिर निर्माण समिति बन चुकी है. सर्वे हो चुका है. निर्माण के उद्देश्य से रामलला को गर्भगृह से हटाने के लिए एक मेकशिफ्ट मंदिर तैयार हो रहा है. माना जा रहा है कि अयोध्या में इस बार रामनवमी दूसरे सालों की रामनवमी से कुछ अलग होने वाली है. वजह साफ है रामनवमी के दिन रामलला गर्भगृह पर बने टेंट से निकलकर फाइबर के बने मेकशिफ्ट मंदिर में विराजने वाले हैं.
यही नहीं रामनवमी के दिन रामलला का प्रसारण दूरदर्शन से कराने की तैयारी चल रही है ताकि लोग अपने घरों में रामलला का दर्शन कर पाएं. अभी तक रामलला की तस्वीर खींचने तक की मनाही थी. लेकिन इस बार प्रशासन भीड़ को रोकने के लिए दूरदर्शन से इसके प्रसारण की कोशिशों में जुटा हुआ है. जब यह सब हो रहा है तो राज्य के सत्ता की बागडोर गोरखनाथ मठ के महंत योगी आदित्यनाथ के हाथों में है और वे स्वयं मंदिर निर्माण के कामों में रुचि लेते रहते हैं.
गोरखनाथ मठ ने मंदिर आंदोलन में निभाई अहम भूमिका
इसके अलावा इस पूरे मामले में एक बात और है जो गौर करने लायक है. अयोध्या विवाद की पूरी टाइम लाइन ध्यान से देखें तो यह बात उभर कर सामने आती है कि राम जन्मभूमि मामले में जब भी कोई महत्वपूर्ण घटना घटी है उसका संबंध गोरखनाथ मठ से जुड़ा रहा है. गोरखनाथ मठ की तीन पीढ़ियां राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी रही हैं.
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यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ फिलहाल गोरखनाथ मठ के महंत हैं. यह मठ राम मंदिर आंदोलन में काफी समय तक केन्द्र बिंदु में रहा. महंत दिग्विजयनाथ का इस आंदोलन में खास योगदान रहा है. दिग्विजयनाथ के निधन के बाद उनके शिष्य महंत अवैद्यनाथ ने मंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाया था.
रामलला का प्रकटीकरण और महंत दिग्विजयनाथ
राम मंदिर विवाद का सबसे अहम पड़ाव 23 दिसंबर 1949 की सुबह को आता है जब बाबरी मस्जिद के मुख्य गुंबद के ठीक नीचे वाले कमरे में रामलला की मूर्तियां प्रकट हुई थीं. इसे ही उस वक्त रामलला का प्रकटीकरण माना गया था. बताया जाता है कि 22/23 दिसंबर 1949 की रात रामलला की मूर्तियां रामचबूतरा से उठाकर मस्जिद के भीतरी हिस्से में रख दी गई थीं. विवादित ढांचे में जब रामलला का प्रकटीकरण हुआ उस दौरान वहां गोरखनाथ मंदिर के तत्कालीन महंत दिग्विजयनाथ मौजूद थे और कुछ साधु-संतों के साथ कीर्तन कर रहे थे. इसके अलावा महंत दिग्विजयनाथ ने राम मंदिर की शिला पूजन में भी भाग लिया था.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्विटर हैंडल से एक फोटो भी शेयर की थी. उसमें उन्होंने लिखा था, गोरक्षपीठाधीश्वर युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज, परम पूज्य गुरुदेव गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज एवं परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज को भावपूर्ण श्रद्धांजलि. बता दें कि आदित्यनाथ ने जो फोटो शेयर की थी उसमें रामशिला के साथ गोरक्षापीठ के पूर्व महंत दिग्विजयनाथ, अवैद्यनाथ और परमहंस रामचंद्र दास दिखाई दे रहे थे. यह तस्वीर रामशिला पूजन के वक्त की बताई जा रही है.
जब खुला राम जन्मभूमि का ताला वहां मौजूद थे महंत अवैद्यनाथ
इसके बाद 29 दिसंबर 1949 को विवादित जमीन पर कोर्ट के आदेश से ताला लगा दिया था और इमारत एक रिसीवर को सौंप दी गई थी जिसे रामलला की पूजा की जिम्मेदारी दी गई थी. विवाद में अगला अहम पड़ाव 1986 में आता है जब एक स्थानीय वकील और पत्रकार उमेश चंद्र पांडेय की अपील पर फैजाबाद के तत्कालीन जिला जज कृष्णमोहन पांडेय ने 1 फरवरी 1986 को विवादित परिसर का ताला खोलने का आदेश दिया था. इस आदेश का उस वक्त बहुत विरोध हुआ था, मुस्लिम पैरोकारों ने इसे एकतरफा फैसला बताया था. जब विवादित परिसर का ताला खोला गया उस वक्त गोरखनाथ मंदिर के तत्कालीन महंत अवैद्यनाथ वहां मौजूद थे.
अयोध्या विवाद का 'सुप्रीम फैसला' और योगी आदित्यनाथ
9 नवंबर 2019 को जब सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर अपना ऐतिहासिक फैसला दिया और विवादित जमीन रामलला को सौंपने की बात कही तब गोरखनाथ के मौजूदा महंत योगी आदित्यनाथ ने यूपी की सत्ता संभाल रखी थी. बता दें कि अपने गुरु की तरह ही योगी आदित्यनाथ भी मंदिर आंदोलन को लेकर शुरुआती दिनों में काफी मुखर रहे हैं.
सीएम बनने के बाद भी योगी आदित्यनाथ का फोकस अयोध्या पर लगातार बना रहा और उसी का परिणाम है कि अयोध्या में तमाम योजनाओं के साथ-साथ दीप प्रज्वलन का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया गया. साथ ही सरयू तट पर भगवान राम की भव्य मूर्ति बनाने का प्रोजेक्ट भी उन्होंने शुरू कराया. अब राम मंदिर निर्माण की शुरुआत भी उन्हीं के कार्यकाल में होने वाली है.
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