जीत छोटी हो या बड़ी, बिना सांगठनिक आधार के लोकतांत्रिक व्यवस्था में उसकी कल्पना भी बेमानी है। लेकिन यह भी सच है कि सांगठनिक व्यवस्था को प्रेरित करने के पीछे उसके कुशल नेतृत्व की बड़ी भूमिका होती है। इन अर्थों में देखें तो 17वीं लोकसभा के लिए भारतीय जनता पार्टी को मिली जीत के असल नायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं।
इंदिरा के बाद दूसरे नेता
इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी पहले नेता हैं, जिनके नाम पर उनकी पार्टी ने लगातार दूसरी चुनावी जीत हासिल की है। लेकिन उनकी जीत का महत्व इसलिए बढ़ जाता है, क्योंकि उन्होंने राजनीति न तो विरासत में हासिल की थी, न ही उनकी पार्टी को वैसी जनव्याप्ति हासिल रही है, जैसी कांग्रेस की थी। वैसे भी हर विजय का श्रेय सेनापति को ही जाता है। यह भी वजह है कि मौजूदा राजनीतिक जीत का सेहरा नरेंद्र मोदी के ही सिर सजता है। लेकिन यह भी सच है कि इस जीत के कुछ और भी नायक हैं...
उत्तर प्रदेश में भाजपा ने प्रतिकूल परिस्थितों में जीत हासिल की
ओम माथुर, जेपी नड्डा और भूपेंद्र यादव
उत्तर प्रदेश में प्रतिकूल परिस्थितों में जीत हासिल करने का श्रेय जहां ओम माथुर और जेपी नड्डा को जाता है। वहीं, बिहार की बाजी एक तरफा करने के लिए पार्टी प्रभारी भूपेंद्र यादव के योगदान को नकारा नहीं जा सकता।
अमित शाह
भारतीय जनता पार्टी की इस जीत के एक नायक पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी हैं। 2014 में पार्टी महासचिव की भूमिका में रहते हुए उन्होंने उस उत्तर प्रदेश से 73 सीटें हासिल की थीं, जहां पांच साल पहले भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ दस सीटें हासिल हुई थीं। तभी से उनके सांगठनिक कौशल का लोहा माना जाने लगा था। पार्टी अध्यक्ष पद पर उनकी ताजपोशी का बड़ा आधार उत्तर प्रदेश में उनकी यह कामयाबी भी रही। अमित शाह अब तक राज्यसभा के सदस्य हैं। लेकिन इस बार उन्होंने गांधीनगर सीट से लोकसभा की राह पकड़ी है।
राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि इस जीत के बाद उनका कद और बढ़ा है, और उन्हें अब सरकार में भूमिका दी जा सकती है। भारतीय जनता पार्टी का एक खेमा तो उन्हें गृहमंत्री बनाए जाने का दावा कर रहा है। चूंकि भारतीय जनता पार्टी एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत का पालन करती है, लिहाजा अमित शाह की जगह पार्टी को नया अध्यक्ष चाहिए होगा।
पश्चिम बंगाल की जीत का भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रतीकात्मक महत्व
कैलाश विजयवर्गीय और अन्य संघ कार्यकर्ता
भारतीय जनता पार्टी ने जो भारी जीत हासिल की है, उसमें पश्चिम बंगाल और ओडिसा की जीत का बड़ा योगदान है। वैचारिक और राजनीतिक स्तर पर भारतीय जनता पार्टी के विरोधी वामपंथी खेमे के गढ़ बंगाल में करीब आधी सीटों पर कब्जा कर लेना और ओडिशा में कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए एक तिहाई सीटों पर कब्जा जमा लेना मामूली बात नहीं है।
पश्चिम बंगाल की जीत का भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रतीकात्मक महत्व है। भारतीय जनता पार्टी के पितृ संगठन भारतीय जनसंघ की स्थापना जिन श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी, उनकी जन्मभूमि पर कायदे से अब जाकर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी ऐसी मौजूदगी दर्ज कराई है, जिसे इतिहास अनदेखा नहीं कर पाएगा।
इसके पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं के साथ ही बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का बड़ा योगदान है। मध्य प्रदेश के मूल निवासी कैलाश विजयवर्गीय ने जिस तरह की व्यूह रचना की, जिस तरह संगठन को शून्य के स्तर से खड़ा किया, तृणमूल के हिंसक विरोध का जिस तरह उन्होंने सामना किया, उसका नतीजा अब देश देख रहा है।
भारतीय जनता पार्टी अपनी जीत के इन सह नायकों को सम्मानित करेगी?
जीत के इन चेहरों को मिल सकती है अहम जिम्मेदारी
ऐसे में उम्मीद किया जाना गलत नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी अपनी जीत के इन सह नायकों को सम्मानित करेगी। यह सम्मान सांगठनिक स्तर पर प्रभावी भूमिका देकर होगा या फिर सरकारी तंत्र में शामिल करके, इसका आंकलन करना जल्दबाजी होगी। लेकिन यह तय है कि मोदी सरकार के दोबारा शपथ लेने के बाद इन नेताओं को और ज्यादा प्रभावी भूमिकाएं सौंपी जा सकती हैं।
माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे जेपी नड्डा या ओम माथुर को अध्यक्ष बनाया जा सकता है। अगर ऐसा होगा तो तय है कि फिर नया अध्यक्ष संगठन में फेरबदल करेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि मौजूदा जीत के नायकों भूपेंद्र यादव और कैलाश विजयवर्गीय के कद बढ़ सकते हैं।
वैसे कैलाश विजयवर्गीय की निगाह मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। कुछ दिनों पहले उन्होंने बयान भी दिया था कि अगर बॉस यानी केंद्रीय नेतृत्व अनुमति दे तो मध्य प्रदेश की सरकार को वे विदा कर सकते हैं। उनके इस बयान के पीछे उनकी राज्य का मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा को ही देखा गया। लेकिन भारतीय जनता पार्टी का एक धड़ा मानता है कि केंद्रीय नेतृत्व की नजर में अगर मध्य प्रदेश में बीजेपी को सरकार बनाने की स्थिति बनी, तो मुख्यमंत्री की पहली पसंद नरेंद्र सिंह गौर होंगे। इसलिए देखना होगा कि कैलाश विजयवर्गीय को किस तरह केंद्रीय नेतृत्व पुरस्कृत करता है। वैसे वे केंद्रीय मंत्री भी बनाए जा सकते हैं।
जीत के नायकों को मिलने वाली भूमिकाओं को देखने के लिए देश को इंतजार करना होगा
अमित शाह बन सकते हैं गृहमंत्री?
एक सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि अगर अमित शाह को गृहमंत्री बनाया जाएगा तो मौजूदा गृहमंत्री राजनाथ सिंह किस भूमिका में होंगे। इसका भी जवाब पार्टी हलकों से दिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि उन्हें लोकसभा स्पीकर जैसी संवैधानिक भूमिका दी जा सकती है। वैसे भी राजनाथ सिंह की छवि उदार है और लोकसभा स्पीकर को सारी पार्टियों को साथ लेकर संसद को चलाना होता है, जिसमें वे कामयाब हो सकते हैं।
हालांकि ये राजनीतिक कयासबाजियां ही हैं। नरेंद्र मोदी की कार्यशैली ऐसी नहीं है, जिससे आप उनके अगले कदम का अंदाजा लगा सकें। इसलिए जीत के नायकों को मिलने वाली भूमिकाओं को देखने के लिए देश को इंतजार करना होगा। अभी तो वक्त है भारतीय जनता को सलाम करने का... जिसने एक बार फिर लोकतांत्रिक यज्ञ में अपनी सफल आहूति दे दी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि जनता की उम्मीदों पर भारतीय लोकतंत्र नए कदमों से नया इतिहास रचेगा।
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