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सोशल मीडिया पर छा रहे हैं नेवी कमांडर अभिलाष टॉमी, जानिए ऐसा क्या हुआ
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भारतीय नौसेना के कीर्ति चक्र से सम्मानित कमांडर अभिलाष टॉमी, सोमवार को दक्षिणी हिंद महासागर से सुरक्षित बाहर निकाले जाने के बाद सोशल मीडिया पर लोकप्रिय होते जा रहे हैं। गोल्डन ग्लोब में हिस्सा लेने के दौरान समुद्र में तेज लहरें उठने से उनकी नाव का स्तंभ टूट गया था, जिससे कमांडर अभिलाष घायल हो गए और तीन दिनों तक वो अपनी नाव में ही फंसे रहे।
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गोल्डन ग्लोब समुद्री मार्ग से पूरी दुनिया का चक्कर काटने वाली रेस है, जिसमें प्रतिभागी अपने नाव पर अकेले होते हैं। टॉमी का नाव पर्थ से 1,900 नॉटिकल मील की दूरी पर तूफान की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। अधिकारियों ने बताया कि टॉमी अपने दुर्घटनाग्रस्त नाव थूरिया पर गंभीर चोट के साथ जिंदगी और मौत की जंग समुद्र में लड़ रहे थे। जान बचने के बाद जैसे ही कमांडर अभिलाष की खबर लोगों के बीच पहुंची। वो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई।
वहीं इंडियन नेवी की ओर से ट्वीट कर कमांडर अभिलाष का एक बयान जारी किया गया है। कमांडर अभिलाष ने कहा, 'समंदर अविश्वसनीय तौर पर खराब था। मैं और मेरी नाव थूरिया प्रकृति की इच्छा के खिलाफ थे। सेलिंग क्षमताओं, मेरे अंदर मौजूद एक सैनिक और नेवी की ट्रेनिंग की वजह से मैं बच सका।'
याद दिला दें कि इस बचाव मिशन की देखरेख ऑस्ट्रेलिया रेस्क्यू कॉर्डिनेशन सेंटर सहित कई अन्य एजेंसियां, ऑस्ट्रेलिया के रक्षा विभाग और भारतीय नौसेना की सहायता से कर रही थीं। अधिकारियों ने बताया कि भारतीय नौसेना ने बचाव मिशन के लिए अपना पी-8 आई विमान तैनात कर रखा था। इस अभियान में फ्रांस का पोत ओसिरिस भी तैनात किया गया था।
टॉमी कीर्ति चक्र विजेता भी रह चुके हैं और स्वदेश निर्मित नौकायन पोत एस वी थुरिया पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्हें बचाने के लिए भारतीय नौसेना ने आईएनएस सतपुरा, चेतक हेलीकॉप्टर, आईएनएस ज्योती और पी-81 विमान को लगया था। जिस जगह वह फंसे हुए थे वह ऑस्ट्रेलिया के पर्थ से 1900 नॉटिल मील की दूरी पर है।
गोल्डन ग्लोब रेस में नाव के माध्यम से 30,000 मील की एकल विश्व यात्रा की जाती है। इसमें वही नौकाएं इस्तेमाल की जाती हैं जो 50 साल पहले इस रेस में इस्तेमाल हुई थीं। इसमें कोई भी नई तकनीक इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होती, सिवाय संचार के उपकरणों के। अभिलाष का नौकायन पोत भी पहली गोल्डन ग्लोब रेस के विजेता रॉबिन नॉक्स जॉन्स्टन के पोत सुहेली की नकल है।
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याद दिला दें कि इस बचाव मिशन की देखरेख ऑस्ट्रेलिया रेस्क्यू कॉर्डिनेशन सेंटर सहित कई अन्य एजेंसियां, ऑस्ट्रेलिया के रक्षा विभाग और भारतीय नौसेना की सहायता से कर रही थीं। अधिकारियों ने बताया कि भारतीय नौसेना ने बचाव मिशन के लिए अपना पी-8 आई विमान तैनात कर रखा था। इस अभियान में फ्रांस का पोत ओसिरिस भी तैनात किया गया था।
टॉमी कीर्ति चक्र विजेता भी रह चुके हैं और स्वदेश निर्मित नौकायन पोत एस वी थुरिया पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्हें बचाने के लिए भारतीय नौसेना ने आईएनएस सतपुरा, चेतक हेलीकॉप्टर, आईएनएस ज्योती और पी-81 विमान को लगया था। जिस जगह वह फंसे हुए थे वह ऑस्ट्रेलिया के पर्थ से 1900 नॉटिल मील की दूरी पर है।
गोल्डन ग्लोब रेस में नाव के माध्यम से 30,000 मील की एकल विश्व यात्रा की जाती है। इसमें वही नौकाएं इस्तेमाल की जाती हैं जो 50 साल पहले इस रेस में इस्तेमाल हुई थीं। इसमें कोई भी नई तकनीक इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होती, सिवाय संचार के उपकरणों के। अभिलाष का नौकायन पोत भी पहली गोल्डन ग्लोब रेस के विजेता रॉबिन नॉक्स जॉन्स्टन के पोत सुहेली की नकल है।
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